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धूमधाम से मनाया गया 273 वां गोपाष्टमी महोत्सव पर्व, चल समारोह का जगह जगह हुआ स्वागत पूजन

ग्वाल-वालो संग गौ चरावन को निकलें ठाकुर श्री बिहारी जी
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धूमधाम से मनाया गया 273 वां गोपाष्टमी महोत्सव पर्व, चल समारोह का जगह जगह हुआ स्वागत पूजन


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दतिया। दीपावली के बाद अष्टमी पर पड़ने वाले गोपाष्टमी महोत्सव पर्व शहर में हर्षोल्लास से मनाया गया। प्राचीन परंपरानुसार ठाकुर बिहारी जी ग्वाल वालों एवं गोपियों संग शहर का भ्रमण करते हुए गौ चरावन निकले। सजे धजे रथ पर प्रिया संग ग्वाल वालों व गायों के साथ रथ में सवार होकर श्री बिहारी जी मंदिर प्रांगण से तिगैलिया, टाउनहॉल, किलाचौक, ठंडी सड़क होते हुए बड़े अस्पताल के पास स्थित बिहारी निवास पहुचें। यहां पर राज परिवार द्वारा बिहारी जी की महाआरती की गई। इसके उपरांत ठाकुर जी चूनगर फाटक, नजयाई बाजार, किलाचौक, दारुगर के पुलिया होते हुए वापस मंदिर प्रांगण में विराजमान हुए। जहां आरती के पश्चात सभी श्रद्धालुओं द्वारा ठाकुर श्री बिहारी जी की साल में एक बार मिलने बाली परिक्रमा लगाकर पुण्य अर्जित किया। गोपाष्टमी के अवसर पर शहर में एक बार फिर आकर्षक विद्युत सज्जा व आतिशबाजी के साथ भक्तों द्वारा जगह-जगह भगवान का स्वागत किया एवं गौ का पूजन कर आशीर्वाद लिया गया। शहर में इस दिन दिवाली जैसा माहौल देखने मिलता है। शहर के जिस रास्ते से भगवान गौचरावन को निकलते है, वहां पड़ने वाले सभी घरों के चबूतरे लीपकर वहां रंगोली सजाकर स्थानीय निवासी भगवान के स्वागत की परंपरा निभाते हैं। उनके आगमन पर लगभग हर घर के दरवाजे पर दीपक जलाकर स्वागत एवं ठाकुर जी की आरती उतारकर पुष्पवर्षा की जाती है।इस दौरान घरों पर आकर्षक लाइटिंग सारे माहौल को मनोरम बना देती है। आयोजन देर तक चलता है। बता दें कि श्री बिहारी जी मंदिर में 272 साल से गोपाष्टमी पर्व मनाया जा रहा हैं।
मंदिर के पुजारी नमन गोस्वामी(अंशु) ने बताया कि भक्तों को सिर्फ इसी दिन ठाकुर श्री बिहारी जी की परिक्रमा का अवसर मिलता हैं। गौ चरावन के बाद भगवान को प्रिया संग मंदिर के चौक में सिंहासन पर विराजमान कराया जाता है। भक्त जबा से भगवान की परिक्रमा करते हैं।

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