आम जनता की समस्याओं को ना सुना तो ऐसी जनसुनवाई को बंद कर देना चाहिए :- आदिवासी नेता बाली कुशवाहा

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दतिया ब्रेकिंग मंगलवार को भांडेर विधानसभा से एकत्रित होकर आए आदिवासियों ने दतिया कलेक्ट्रेट पर आदिवासी नेता वाली कुशवाहा के नेतृत्व में अपनी समस्याएं सुनाएं जिसमें आवाज बीपीएल कार्ड शौचालय मजदूरी एवं पुलिस अत्याचार एवं बाहुबली लोगों के द्वारा गरीब एवं असहाय लोगों को प्रताड़ित किया जाता है यह सारी समस्याएं एवं मांगे पूरी होना चाहिए ग्राम सरसई के आदिवासियों ने पहले भी आवेदन दिए थे जिसकी कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है एवं पूर्व में विधायक मंत्री गण को भी आवेदन एवं शिकायत की उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है एवं सीएम हेल्पलाइन की गई तो पटवारी और सचिव के द्वारा झूठी जानकारी भरकर उस शिकायत को बंद करवा दिया लेकिन आदिवासियों की अभी तक कोई भी मांगे पूरी नहीं हुई है सिर्फ आश्वासन ही आश्वासन मिला ऐसा ही मामला दुर्गापुर के आदिवासियों का है जहां गेहूं के जगह खाली थैले पकड़ा दिए गए कोई भी शासन की योजना का लाभ नहीं मिल रहा है भांडेर के आदिवासियों ने कहा कि दबंग लोग धमका रहे हैं ना तो कोई शासन प्रशासन से कोई भी सपोर्ट नहीं मिलता है ना कोई पुलिस सुनवाई करती है भांडेर विधायक के पास गए विधायक विधायक ने कहा मेरी भी कोई नहीं सुनता है जब विधायक की शासन प्रशासन नहीं सुनता है तो बताइए आम पब्लिक की कौन सुनेगा आपको बता दें कि मुख्यमंत्री के दौरे चालू हो गए हैं लेकिन अभी तक दतिया कलेक्टर ने एक भी ग्राम पंचायत का निरीक्षण नहीं किया है ग्राम पंचायत की आम समस्या का समाधान नहीं किया है।
भांडेर के आदिवासियों ने पूर्व में 28 जनवरी 2020 को अपनी समस्याओं को लेकर दतिया कलेक्ट्रेट पर एकत्रित होकर ज्ञापन दिया था जिसकी कोई भी सुनवाई अभी तक नहीं हुई है दूसरी बार 9 फरवरी 2021 को भांडेर विधानसभा एवं ग्राम पंचायत सरसई के आदिवासियों ने कलेक्टर को ज्ञापन दिया जिसकी भी सुनवाई अभी तक नहीं हुई है तब जाकर आज 21 सितंबर 2021 को कलेक्टर को तीसरी बार ज्ञापन दिया जा रहा है आइए देखते हैं कलेक्टर साहब क्या संज्ञा लेते हैं।
वही आदिवासी नेता बाली कुशवाहा ने भांडेर तहसीलदार को कई बार शिकायत आवेदन दिए जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तभी वाली कुशवाहा ने बताया की भांडेर तहसीलदार के खिलाफ पटवारी एवं वकीलों ने आंदोलन किया एवं पब्लिक ने भी आंदोलन किया लेकिन भांडेर के तहसीलदार कलेक्टर को इतने प्यारे हैं कि उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।




