
दतिया/क्रांतिकारी व जिला प्रवक्ता दतिया ओबीसी महासभा रोहित हुकुम ने बताया कि समूचे भारत के लिए (एक देश एक चुनाव) को मूर्त रूप देने हेतु केंद्र सरकार ने इसके लिए 129 वां संविधान संशोधन अधिनियम विधेयक ,रामनाथ कोविंद समिति की सिफारिश पर लाया गया है।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव प्रक्रिया के मामले में अद्वितीय है भारत में स्थानीय स्तर से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक के चुनाव निरंतर देश के किसी न किसी राज्य में हर 5 या 6 माह के अंतर्गत चुनाव होते ही रहते हैं तो ऐसे में देश में हर बार चुनाव होना देश की कल्याणकारी योजनाओं और विकासात्मक कार्यों में बाधा उत्पन्न करते है तो इस नए कानून से हमे उससे निजात मिलेगी!
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखें तो सन 1952 से लेकर 1967 तक लगातार भारत में विधानसभा तथा लोकसभा के चुनाव एक साथ संपन्न हुए हैं
लिहाजा विश्वस्तर पर अमेरिका फ्रांस,स्वीडन,कनाडा अनेक विकसित देशों में एक साथ चुनाव होते हैं!
वर्तमान में बार-बार चुनाव में लगने वाली “आदर्श आचार संहिता” से नागरिकों को परेशानी से निजात मिलेगी और आए दिन चुनाव में प्रचार प्रसार हेतु चुनावी, रोड शो,रैली, प्रचार में करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा दिया जाता है जिससे देश की जीडीपी पर नकारात्मक असर पड़ता है क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव में लगभग 60,000 करोड रुपए खर्च हुआ था तो वहीं विगत 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब 1,35,000 करोड़ से अधिक खर्च आया है, इस “एक देश एक चुनाव” से फालतू के अधिक धन की बर्बादी रुकेगी !
हुकुम ने कहा कि जब चुनाव होते हैं तो लाखों कर्मचारी, शिक्षक,पुलिस बल, सेना के जवान को तैनात करना पड़ता है उन्हें कई समस्या से गुजरना पड़ता है तथा बार-बार मतदाता सूची चुनाव आयोग को जारी करनी पड़ती है जिससे देश की जीडीपी पर नकारात्म असर पड़ता है! बार बार आदर्श आचार संहिता लगने से केंद्र व राज्य स्तर की योजनाएं देश के अंतिम व्यक्ति तक सुचारू रूप से क्रियान्वित नहीं हो पाती और लोकव्यवस्था बाधित होती है बुनियादी विकासात्मक कार्यों बंद हो जाते हैं!
एक देश एक चुनाव से राजनीतिक अस्थिरता दूर होगी साथ ही क्षेत्रीय राजनीति में जाति,धर्म,संप्रदाय आदि के मुद्दों को चुनाव में भड़काऊ भाषण बयान बाजी से समाज में अराजकता एवं अपराधीकरण बढ़ता है तो (एक देश एक चुनाव) से सामान्यत: कमी देखी जा सकती है!
एक देश एक चुनाव के समक्ष कुछ चुनौतियां भी हैं क्षेत्रीय समस्या राष्ट्रीय मुद्दों की अपेक्षाकृत ओझल हो जाएगी एवं तकनीक तथा प्रशासनिक बुनियादी ढांचे को और विकसित करना पड़ेगा!विधि आयोग के अनुसार कम से कम 05 संविधान संशोधन करने पड़ेंगे जो कि चुनौतीपूर्ण कार्य होगा!केंद्र और सभी राज्यों के बीच एक संतुलन बनाना मुश्किल भरी व्यापक चुनौती है!
रोहित हुकुम ने अपने अंतिम शब्दों में बताया कि (एक देश एक चुनाव) की पहल यदि यह चुनाव प्रणाली विधि बनकर समूचे देश में लागू होती है तो “भारतीय लोकतंत्र’ और विकास दोनों को बल मिलेगा तथा भारतीय समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा और बेहतर होगा कि अन्य राजनीतिक पार्टियों के सांसद भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस क्रांतिकारी पहल का समर्थन करें तथा भारत को विश्व गुरु बनाने में अपना अहम योगदान देने में अपनी भूमिका निभाएं!




