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निमाड़ी स्वराज गायन और जनजातीय नृत्य से सजी शाम

भोपाल गमक श्रृंखला में मंगलवार शाम जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी की ओर से शिवभाई गुप्ता और साथी, खरगोन द्वारा निमाड़ी स्वराज गायन एवं इंदर सिंह निगवाल और साथी, धार द्वारा भील जनजातीय नृत्य भगोरिया एवं डोहा की प्रस्तुति हुई। शुरुआत शिवभाई गुप्ता और साथियों ने निमाड़ी स्वराज गीत से की। श्री गुप्ता ने गायन की शुरुआत जागो रे किरसांण भाई जागण की बेला छै से की…। उसके बाद भैया सोवण को नहीं जमानु देश आजाद बनावणु…, बड़ी मुश्किल सी आजादी रे मिली…, प्यारो भारत देश हमारो…, म्हारो प्यारो हिंदुस्तान… आदि स्वराज गीतों का गायन किया। प्रस्तुति में तबले पर श्याम केवट, ढोलक पर सागर कुमरावत, कोरस- मोहन यादव, मुकेश यादव ने एवं झांझ पर रामबलि पटेल ने संगत दी।दूसरी प्रस्तुति इंदरसिंह निगवाल और साथियों द्वारा भगोरिया एवं डोहा की हुई। प्रस्तुति में इंदरसिंह के साथ थाली पर अंतर सिंह, शहनाई पर थाऊ सिंह व शेर सिंह, ढोलक पर जीतेंद्र, मांदर पर पिंकेश ने वादन में एवं रतन सिंह, राकेश, सुरेश, किशन सिंह, जितेंद्र सिसोदिया, वीरेंद्र सिंह, संगीता, उर्मिला, अंदर बाई, रेखा, राजू बाई, जीतू बाई और पार्वती ने नृत्य में सहभागिता की।मनौती पूरी होने का उत्सव है डोहा: मानता (मनौती) से संबंधित उत्सव है। भील परिवार में यदि गाय-भैंस नियमित दूध न दे या दो-तीन साल तक उसके बछड़े अकाल मृत्यु के ग्रास बन जाएं तो खेड़ा देवती की मन्नात ली जाती है। मनोकामना पूर्ण होने पर दीपावली के समय पांच दिन तक घर-घर जाकर डोहा खेला जाता है। एक मिट्टी की छोटी गागर में चारों ओर छोटे-छोटे छिद्र किए जाते हैं। उसमें बीचोंबीच प्रज्ज्वलित दीपक रखते हैं। गांव के युवक-युवतियां रात में प्रत्येक घर जाकर ढोल, थाली और पावली की धुन पर नृत्य गान गाते हैं।गमक में आज: श्र्ाृंखला के अंतर्गत बुधवार शाम सात बजे से उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी की ओर से श्वेता जोशी और साथी, धार द्वारा गायन एवं आमिर खां और साथी, भोपाल द्वारा सरोद वादन की प्रस्तुति होगी, जिसका प्रसारण विभाग के यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर लाइव किया जाएगा।

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