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दतिया सोनागिर क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज ने आचार्य पुष्पदंत सागर सभागृह अमोल वाली धर्मशाला में विदाई समारोह

दतिया सोनागिर क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर जी महाराज ने आचार्य पुष्पदंत सागर सभागृह अमोल वाली धर्मशाला में विदाई समारोह धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहां की जो आया है वह दिन जाएगा जरूर यह निश्चित है मगर जाने से पहले वह कुछ ऐसे काम करके जाए जिससे वह अमर हो जाए कितना जिए यह महत्वपूर्ण नहीं है किस तरह जिए यह महत्वपूर्ण है तीर्थंकर महावीर केवल 72 साल जिए मगर अपने जीवन काल में जो इतिहास लिख कर चले गए जो आज भी लोगों को सत मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है मुनि श्री ने आगे कहा कि संत आते हैं ज्ञान का प्रकाश भक्तों के दिलों में जगा कर चले जाते हैं क्योंकि संत और सरिता कभी एक जगह नहीं ठहरते अगर वह एक जगह ठहर जाए तो वह अशुद्ध हो जाते हैं संतो के पैर चंचल होते हैं श्रावकों का मन चंचल होता है मुनि श्री ने आगे कहा कि संत और दीपक हमेशा जगत कल्याण के लिए स्वयं चलकर दुनिया को प्रकाशित करते हैं दीपक बाहर के अंधेरे को समाप्त करता है संत मन के अंधेरों को समाप्त करते हैं। आज देश और समाज में शांति और अमन बरकरार है वह ऋषि मुनियों की त्याग तपस्या का फल है दिगंबर जैन मुनि त्याग तपस्या से जो भी फल प्राप्त करता है उसे भक्

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