स्लग/पितरों का तर्पण करने नदी घाटों पर पहुंचे लोग, कुषा से जल देकर तर्पण कर मनाया श्राद्ध/भितरवार/संवाददाता/कमल साहू
एंकर–पित्र पक्ष के पहले दिन हिंदू धर्म संस्कृति का पालन करने वाले लोग अपने पितरों का तर्पण करने के लिए ज्यादातर नदी घाटों पर कुशा लेकर पहुंचे जहां नदी के कल कल बहते पानी के बीच स्नान करते हुए दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का तर्पण करने के लिए कुषा से किसी ने 11 बार तो किसी ने 16 बार अंजली में कुशा के सहारे पानी लेकर पृथ्वी की ओर छोड़ते हुए जल दीया साथ ही जिन लोगों के पूर्वजों का देहावसान पूर्णिमा के दिन हुआ था उनका नाम लेकर जल से तर्पण किया और कौवा और कुत्तों को अपने पूर्वजों के पसंदीदा व्यंजन खिलाए साथ ही घरों में ब्राह्मणों को भोजन करा कर दान दक्षिणा देते हुए उनका श्राद्ध मनाया गया. तो वही पार्वती नदी के दिया दहा घाट पर पंडित प्रदीप कुमार शर्मा द्वारा सामूहिक रूप से मंत्र उच्चारण के साथ पित्र तर्पण के लिए पहुंचे लोगों को पितरों का तर्पण कराया तो वहीं कई लोगों ने पिंडदान भी पितरों को किया.
उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म में पितृपक्ष का अति महत्वपूर्ण स्थान है. पितृपक्ष मैं हिंदू धर्म को मानने वाले लोग अपने पूर्वजों और पितरों की आत्मा की त्रपति के लिए श्राद्ध कर्म एवं पिंडदान करते हैं. इससे उनके पितर अति प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितरों के आशीर्वाद से घर परिवार में धन दौलत, सुख समृद्धि, मान सम्मान और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार पित्र पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ होकर अश्विन मास की अमावस्या तिथि तक यानी कि 6 अक्टूबर तक आयोजित होगा. पितृपक्ष के पहले दिन 20 सितंबर सोमवार को भारी मात्रा में लोग अपने पितरों का तर्पण करने के लिए सुबह 5:00 बजे से ही पार्वती नदी के पुल घाट और दियादाह घाट पर कुषा (डाव), काला तिल, जो, चावल एवं नया कपड़ा लेकर पहुंचना शुरू हो गए थे जिन्हें जानकारी नहीं थी उन्हें नदी घाटों पर उपस्थित पंडित प्रदीप शर्मा द्वारा पितरों के तर्पण के संबंध में बताया साथ ही ‘ऊँ आगच्छन्तु मैं पितर और ग्रहन्तू जलान्जलिम’ का जप करते हुए पितरों के नाम का उच्चारण कराया गया इस दौरान कुछ लोगों ने अपने पितरों का नाम लेते हुए 11 बार तो किसी ने 16 बार अंजलि में जल भरकर कुषा के द्वारा तिल और जो के मिश्रण के साथ पृथ्वी की ओर दक्षिण दिशा में जल छोड़ा. वही शराब के पहले दिन जिनके पूर्वजों का देहावसान दिन था उन लोगों ने अपने घरों पर उनके नाम से अपनी श्रद्धा और यथाशक्ति के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करा कर दान दक्षिणा दी साथ ही कौवा और कुत्तों को भी भोजन के ग्रास प्रदान किए.



