
Bhopal Health News: भोपाल / हमीदिया अस्पताल के दो हजार बिस्तर के नए अस्पताल भवन में सुल्तानिया जनाना अस्पताल की शिफ्टिंग अटक गई है। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बीते एक अप्रैल से सुल्तानिया अस्पताल को हमीदिया के नए अस्पताल भवन के बी-ब्लाक में शिफ्ट करने को कहा था। इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर आने से बी ब्लाक में कोरोना मरीजों को भर्ती किया जाने लगा। अब फिर से तीसरी लहर के लिए बी-ब्लाक को तैयार किया जा रहा है। शिफ्टिंग नहीं होने से सुल्तानिया अस्पताल में आने वाली प्रसूताओं व अन्य मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। कोरोना के इक्का-दुक्का मरीज भी आते रहे तो सुल्तानिया अस्पताल शिफ्ट नहीं हो पाएगा।
एसएनसीयू- प्रसव के बाद कई बार नवजातों को फौरन नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में भर्ती कराना पड़ता है। सांस लेने की दिक्कत होने पर उन्हें पीडियाट्रिक वेंटिलेटर पर रखना होता है। एसएनसीयू हमीदिया अस्पताल में है। यहां से सुल्तानिया अस्पताल की दूरी दो किमी है। रास्ता इतना व्यस्त है कि हमीदिया पहुंचने में एक घंटे से ज्यादा वक्त लग जाता है। ऐसे में नवजात की हालत गंभीर होने का खतरा रहता है।
ब्लड बैंक- सुल्तानिया अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं है। इमरजेंसी में प्रसूताओं को और नवजातों को ब्लड मिल जाए, इसलिए सुल्तानिया अस्पताल में ब्लड स्टोरेज यूनिट बनाई गई थी। एक साल चलने के बाद करीब चार साल से यह भी स्टाफ की कमी के चलते बंद है। ऐसे में ब्लड के लिए स्वजन को हमीदिया अस्पताल जाना होता है।
डॉक्टर- नवजातों के चेकअप के लिए हमीदिया अस्पताल से डॉक्टर बुलाए जाते हैं। इसमें देरी भी होती है और डॉक्टर के पहुंचने में वक्त भी ज्यादा लगता है।
सभी काम अटके- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के सहयोग से यहां पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए आइसीयू बनाया जा रहा था, लेकिन शिफ्टंग के फेर में सारे काम रोक दिए गए हैं।
अभी तो हमीदिया के बी ब्लाक को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए तैयार किया जा रहा है, इस कारण सुल्तानिया अस्पताल को शिफ्ट नहीं किया जाएगा। कोरोना मरीज पूरी तरह से आना बंद हो जाएंगे, तभी इस संबंध में कुछ निर्णय लिया जाएगा।




