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सुशासन सप्ताह के अंतर्गत रावतपुरा कॉलेज में ‘‘जिले में सुशासन प्रथाओं/पहलों पर कार्यशाला‘‘ हुई आयोजित 

सुशासन वह हे जिससे हर व्यक्ति खुद को सशक्त महसूस करें – श्री माकिन

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दतिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के रूप में 25 दिसम्बर को प्रतिवर्ष सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रथम बार सुशासन दिवस 2014 में मनाया गया था। शासन के निर्देशानुसार पूरे प्रदेश के जिलों में 19 दिसम्बर से 24 दिसम्बर तक सुशासन सप्ताह मनाया जा रहा है।सुशासन सप्ताह के अंतर्गत ‘‘प्रशासन गांव की ओर‘‘ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत आमनागरिकों को शासकीय योजनाओं से वंचित रह गए लोगों के आवेदन लेकर त्वरापूर्ण निराकरण एवं लाभांवित किया जा रहा है।सुशासन पर आधारित शपथ दिलाई जा रही है। ग्राम पंचायतों में शिविर लगाकर शासकीय योजनाओं का पात्र हितग्राहियों केा लाभ पहुंचाया जा रहा है।महिलाओं के निःशुल्क ड्रायविंग लायसेंस बनाए जा रहे है। ई-कोर्ट जैसी पहलों को प्रारंभ किया जा रहा है।शासकीय सेवकों एवं कर्मचारियों केा सुशासन की शपथ दिलाई जा रही है।जिससे वे निष्ठापूर्ण तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें एवं जनहित में कार्य करें।इसीकड़ी में आज रावतपुरा कॉलेज स्थित सभाकक्ष में सुशासन सप्ताह के उपलक्ष्य में ‘‘प्रशासन गांव की ओर‘‘ अभियान के अंतर्गत जिले में कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम की रूपरेखा जिले के विद्ववान विख्याता मनोज द्विवेदी द्वारा बताई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में दतिया के सेवा निवृत्त कलेक्टर अखिलेन्दु अरजरिया रहे।अन्य गणमान्य अतिथियों में सेवा निवृत्त डॉ. रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, सेवा निवृत्त प्राध्यापक डॉ. आरके नीखरा, सेवा निवृत्त वाणिज्यकर विभाग राजनारायण बोहरे रहे। कार्यक्रम की शुरूआत गणमान्य अतिथियों एवं जिला कलेक्टर द्वारा सरस्वती मां एवं अटल विहारी वाजपेयी की प्रतिमा को दीप प्रज्जवलित एवं माल्यार्पण की गई। इसके उपरांत जिला कलेक्टर श्री माकिन द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री अखिलेन्दु अरजरिया (सेवा नि. कलेक्टर) केा पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया। इसीक्रम में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा गणमान्य अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया।इसके उपरांत कार्यक्रम में वक्ता के रूप में आमंत्रित पीजी कॉलेज प्राचार्य डॉ. डीआर राहुल द्वारा सुशासन की आवधारणा एवं उसके महत्व पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि सुशासन की अवधारणा गीता, रामचरितमानस, महात्मा गांधी के अंत्योदय से ली गई है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों, कर्मचारियों केा सुशासन के तत्व जैसे निष्पक्षता, विधि का शासन, जनता की भागीदारी, पारदर्शिता, जावबदेहिता, प्रभावशीलता, समान्ता, समावेशन एवं सुशासन में आ रही चुनौतियों जैसे लैंगिक असमानत, भष्टाचार, बढ़ती हुई हिंसा, न्याय में देरी, बेरोजगारी केन्द्रीकरण जैसे विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया।इसके बाद सेवा निवृत्त प्राध्यापक आरके नीखरा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जब तंत्र और तत्व का समावेशन होगा तभी सुशासन की अवधारणा सफल होगी। उन्होंने कहा कि गांव राष्ट्र की धमनियों के समान है। यदि इनमें सही एवं सुचारू रूप से शासन की पहलों एवं योजनाओं का अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचेगा, तभी राष्ट्र का ह्रदय भी स्वस्थ एवं सही ढंग से कार्य करेंगा। वे कहते है कि अनुक्रियाशीलता तत्व सुशासन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। समाज में विकृतियों को दूर करने के लिए आध्यात्मिक और वैज्ञानिक चेतना का विकास करना होगा।इसीकड़ी में सेवा निवृत्त प्राध्यापक रामेश्वर गुप्त जो कि संस्कृत भाषा के विद्वान रहे है, प्राचार्य रहे है। उन्होंने अपने उदवोधन में कहा कि प्रजा की रक्षा कर्तव्य पालन से होती है। व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान रहे। उन्होंने कहा कि सुशासन धर्म की रक्षा करने से स्थापित होगा। मनुष्य का धर्म है कि वह पूरी निष्ठा और निष्पक्षता के साथ सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन करें। कार्यक्रम को और आगे गति देते हुए सेवा निवृत्त वाणिज्यकर विभाग राजनारायण बोहरे ने प्रशासन गांव की ओर पर विस्तृत चर्चा की।इसके उपरांत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में आंमत्रित सेवा निवृत्त कलेक्टर अखिलेन्दु अरजरिया ने सुशासन दिवस का महत्व सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में ही सुशासन की अवधारणा प्रस्तुत की गई। उन्होंने कहा कि ‘‘उपलब्धियों का वखान करना सुशासन नहीं, बल्कि जब जनता कहे की यह उललब्धि है, वह सुशासन। इसके बाद उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, रामराज्य से विषयों पर अपने विचार रखे। अंत में उन्होंने अपने उदवोधन में कार्यक्रम के लिए बतौर मुख्य अतिथि के रूप में आंमत्रित किए जाने पर धन्यवाद व्यक्त किया।कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए जिला कलेक्टर संदीप कुमार माकिन ने अपने उदवोधन में सुशासन सप्ताह के अंतर्गत ‘‘प्रशासन गांव की ओर‘‘ अभियान के विंदुओं पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि सुशासन की अवधारणा पूर्ण रूप से तब सफल होती है जब शासन की नीतियों, पहलों, योजनाओं का लाभ अंतिम तबके के व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुशासन वह है जिसमें हर व्यक्ति खुद को सशक्त महसूस करें। शासन द्वारा सुशासन के लिए कई पहलें की गई है जैसे प्रशासन में टेक्नोलॉजी का समावेशन, सीएम हेल्पलाइन, लोक सेवा गारंटी, आईटीआई इत्यादि। इन सभी पहलों से प्रशासन में जबावदेहिता, उत्तरदायित्व, लोगों की शासन-प्रशासन में भागीदारी बढ़ी है।कार्यक्रम के अंत में श्री माकिन ने कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों का आभार व्यक्त एवं धन्यवाद व्यक्त किया। इसके बाद उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित समस्त प्रशासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सुशासन की शपथ दिलाई।कार्यशाला में अधिकारी सहित जिले के समस्त कार्यालय प्रमुख एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

Abhishek Agrawal