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मिलावटी मिठाइयों की चमक कहीं बीमार न कर दे

भितरवार — दिवाली को लेकर मिठाई की दुकान पर खरीदारों की भीड़ बढ़ने लगी है। बढ़ती भीड़ में मिलावटी मिठाइयों की बिक्री भी खूब हो रही है। ऐसे में जरूरी है कि आप संभलकर खरीदारी करें। खरीदारी के दौरान पैक्ड मिठाइयों पर मैन्यूफैक्चरिंग व यूज डेट अंकित है कि नहीं, यह जरूर देखें। खासकर एक्सपायरी डेट देखें। दुकानों के फ्रीजर में सजे मिठाइयों के आगे बनाने व उसके यूज डेट लिखा है कि वह देखकर ही खरीदारी करें। दुकानदार से भी शुद्धता की जानकारी ले सकते हैं। नहीं तो जल्दबाजी में मिलावटी मिठाई खाने से बीमार पड़ सकते हैं।पर्वों के करीब आते ही मिलावटी उत्पादन की बिक्री जोरों पर है। बनावटी खोवा से बनी मिठाइयों की दुकानें सज गई। जो बीमारियों को बढ़ावा दे रही है। लेकिन खाद्य विभाग की टीम छापामारी नहीं कर रही है।

मिलावटी खोया से सज गई मिठाई की दुकानें

मिलावटी खोया से सज गई मिठाई की दुकानें

*अधिक लाभ के चक्कर मे करते है मिलावट -*

त्योहार के चलते कस्बे में होटलों में मिलावटी खोया से बनी मिठाइयों से दुकान सजने लगी। दुकानदार अधिक लाभ के चक्कर में मिलावटी खोया से बनी मिठाईयां बेचकर अधिक लाभ कमाने के साथ ही बीमारियों को न्योता दे रही है। कस्बे में कई स्थानों पर ऐसी दुकानें हैं जहां पर मिलावटी खोया से मिठाइयां बनाई जाती है। दुकानदारों पर गांव-गांव से आने वाले विक्रेता मिलावटी खोवा बेंचते हैं। जहां पर कई बार छापेमारी की जा चुकी है और मिलावट करने वाले विक्रेता अपना खोया छोड़कर भाग जाते हैं। और दुकान बंद कर जाते हैं लेकिन विभागीय अधिकारी ऐसे विक्रेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं करते है। खाद्य विभाग के सुस्त रवैया के चलते मिलावटी खोया की से बनी मिठाइयों की दुकानें भी सज गई है। जिनका सेवन कर लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

*15 से 20 दिन पहले ही बननी शुरू हो जाती है मिठाई-*

दीवाली पर अच्छे कारोबार के लालच में दुकानदार 15 से 20 दिन पहले से ही मिठाइयों स्टॉक करने का काम शुरू कर देते हैं। बेसन के लड्डू बनाने में सस्ती मैदा व पीले केमिकल युक्त रंग का उपयोग करते हैं। लड्‌डू व पीली बरफी बनाने में यहीं मिलावट की आशंका है। एक मिठाई निर्माता ने बताया कि बेसन के महंगा होने के चलते उसमें मैदा के साथ पीला कैमिकल युक्त रंग मिलाकर लड्डू बनाते हैं। इसकी कीमत भी ज्यादा नहीं रखी जाती है। ऐसे में ग्राहक इसको ज्यादा पसंद करते हैं।

*महंगाई के चलते भी खूब की जा रही मिलावट-*

एक दुकानदार ने बताया कि देशी घी से लेकर दूध, कुकिंग ऑयल आदि के दाम अधिक हैं। ऐसे में सस्ता ऑयल बूंदी, बरफी व सोन पापड़ी बनाने में किया जाता है। घटिया क्वालिटी की रिफाइंड का उपयोग करते समय इनमें माल की क्वालिटी बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के एसेंस की खुशबू डाली जाती है, जिससे लोगों को घटिया क्वालिटी का माल होने का एहसास न हो। जानकारी के अनुसार यह मिठाई ठेके पर काम करने वालों से दुकानदारों को 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक में मिल जाती है, जिसे वह 200 रुपये किलो तक ग्राहकों को देते हैं। ग्राहक भी कम दाम के चलते इनको ले जाता है।

भितरवार संवाददाता के के शर्मा की ख़बर

Abhishek Agrawal