Breaking दतिया मध्यप्रदेश

हम सौभाग्यशाली हैं, की हमारा जन्म दतिया में हुआ। जहां पर मां पीतांबरा और मां धूमावती के साथ तमाम सिद्ध पीठ तपस्थलीया और आध्यात्मिक स्थान हैं

हम सौभाग्यशाली हैं, की हमारा जन्म दतिया में हुआ। जहां पर मां पीतांबरा और मां धूमावती के साथ तमाम सिद्ध पीठ तपस्थलीया और आध्यात्मिक स्थान हैं।
आज पूरे देश में मां पीतांबरा पीठ की प्रतिष्ठा और मां धूमावती की ममतामई वरदानी छवि सुविख्यात है।
मां के वात्सल्य और कृपा की कोर के कारण संपूर्ण भारत और विदेशों से भी श्रद्धालु दतिया पहुंचते रहते हैं। परम पूज्य स्वामी जी महाराज के कारण सन 62 के भारत-चीन युद्ध के समय भारत के पक्ष में परिणाम आए क्योंकि स्वामी जी ने राष्ट्ररक्षा यज्ञ का अनुष्ठान कर ,दतिया में मां बगलामुखी और धूमावती माई की शक्तियों के प्रत्यक्ष दर्शन कराए थे।
मां पीतांबरा को राजनीति की देवी कहा जाता है ,इसलिए पूरे देश के तमाम नेता गण जिनमें राष्ट्रपति से लेकर मंत्री सांसद विधायक और जो राजनीति में अपना बुलंद सितारा चाहते हैं ,वह सब जब तब मां की देहरी पर मत्था टेकने आते रहते हैं।
2008 में दतिया के जनप्रतिनिधि डॉ नरोत्तम मिश्रा जी के बनने के बाद, दतिया जिले की प्रतिष्ठा मां पीतांबरा के नाम से होने कारण उन्होंने मंदिर तक पहुंचने के रास्ते चौड़े कराएं, मंदिर का बाहरी सौंदर्य और अन्य जो बाहरी व्यवस्थाएं हैं ,उनको सुधार किया तथा दतिया को बाहरी रूप से एक महानगर की शक्ल दी।
अब जब कोई बाहर से दतिया आता है, तो उसे स्वत: यह अनुभूति होती है, कि दतिया परिवर्तित हो चुका है।
लेकिन इतनी प्रतिष्ठित शक्ति पीठ होने के बावजूद भी पीतांबरा पीठ की व्यवस्थात्मक स्थितियां ठीक नहीं है।
श्री पीतांबरा पीठ को संचालित करने वाले ट्रस्ट में कहने को तो बहुत बड़े-बड़े लोग ट्रस्टी है, लेकिन वह साल में एक या दो बार ही मंदिर की व्यवस्थाओं का अवलोकन करने बड़े तामझाम के साथ आते हैं ।
इस बीच मंदिर की व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमराई हुई रहती हैं ।
कल 1 जनवरी को मंदिर में लगभग एक लाख से अधिक लोगों ने दर्शन किए हैं और अगर हम इसे व्यवस्था की दृष्टि से देखें तो सुरक्षात्मक या अनुशासनात्मक दोनों व्यवस्थाएं ध्वस्त रही।
सुरक्षा की दृष्टि से मुख्य द्वार पर केवल जांच करने की मशीन और एक या दो सुरक्षाकर्मी रहे ,वही मंदिर के अंदर जो व्यवस्था में लोग रहते हैं। वह व्यवस्था से ज्यादा अपने निजी व्यवहार के लिए चिंतित रहते हैं ।
सबके अपने अपने ग्राहक हैं ,अपने अपने यजमान हैं। और उन ग्राहकों यजमानों की सुविधा ही उनका परम ध्येय है।
मंदिर की व्यवस्था से उनका कोई हेतु नहीं है।
यही हाल दर्शन से लेकर बाहर से आए हुए अतिथियों को रुकवाने तक का है ।
श्री पीतांबरा पीठ मंदिर का ट्रस्ट एक बहुत धनाढ्य ट्रस्ट हैं जिसका लाभ मंदिर की व्यवस्थाओं की नियमित जांच और सुधार होनी चाहिए,इसलिए इसकी व्यवस्था और संचालन के लिए स्थानीय स्तर पर ही ट्रस्टी होने चाहिए।
ताकि इसका लाभ दतिया को दतिया की आम जनता को मिले ।
मां पीतांबरा पीठ मंदिर और मेडिकल कॉलेज ,यह दो ऐसी जगह है, जहां पर दतिया के लोगों को रोजगार भी मिल सकता है।
लेकिन पीतांबरा पीठ का व्यवस्थात्मक दायित्व बाहरी लोगों के हाथ में है।
इसलिए वह ठीक नहीं है, दतिया शहर में इमानदार, कर्मठ, बुद्धिजीवी ,धर्म परायण और व्यवस्थापक रूप से सुविज्ञ लोगों की कमी नहीं है। इसलिए माई के दरबार को व्यवस्थापक दृष्टिकोण से स्थानीय स्तर पर एक व्यवस्थापक समिति बनाकर उसके द्वारा संचालित किया जाना चाहिए। यह अब हर दृष्टिकोण से अति आवश्यक है।
।।जय श्री माई की।।
जगत शर्मा की कलम से दतिया

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