

दतिया/ पुरातन काल से ही अध्यात्म की नगरी रही है। यह नगर सदियों से संत, महंत एवं विद्वत जनों की तपोस्थली रही है। यहां तमाम नामचीन संतों ने तपस्या की है एवं समाधिस्थ हुए है। जिनमें से प्रसिद्ध पीतांबरा पीठ के स्वामी जी महाराज हनुमान गढ़ी के पूज्य संत स्वामी चेतन्य दास जी महाराज, फक्कड़ बाबा जी महाराज , अनामय धाम आश्रम के परमहंस जी महाराज एवं कांपिल आश्रम के अधिष्ठाता एवं रामानुज धाम आश्रम के 135 वर्षीय श्री देवकाचर्य जी महाराज जैसे महान तपस्वियों ने अपनी तपस्या करने एवं समाधी लेने के लिए दतिया को ही श्रेष्ठ माना है।
आज रामानुज धाम के पूज्य संत 135 वर्षीय देवकाचार्य जी महाराज ने चातुर्मास के दौरान इस पंचभौतिक शरीर को ब्रह्मलीन करने के लिए भी दतिया की पावन धरा का चुनाव किया है। पूज्य महाराज जी वर्षों से फलाहारी थे। बीते शाम महाराज जी ने अपने आप को ब्रह्म में बिलीन किया था।
आज महाराज जी की पवित्र देह को रामानुज धाम आश्रम के प्रांगण में पूरे विधि विधान के साथ समाधिस्थ किया गया। इस अवसर पर हिंदुस्तान के कोने कोने से पहुंचे महाराज जी के सेवक एवं पावन धूमेश्वर धाम के महंत पूज्य अनिरुद्धवन जी महाराज एवं तमाम साधु संतों की मौजूदगी में पूज्य महाराज जी को वेदमंत्रों के साथ समाधि दिलाई गई। बता दें महाराज जी ने मंगलवार की शाम को अपने प्राण ब्रह्म में लीन कर दिए थे आज महाराज जी ने वैदिक रीति से समाधि ली है




