लॉक डाउन का असर छीमक के करीब 15 परिवारों पर पड़ा है जोकि मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचते थे जिनकी बिक्री पूरी तरह ठप पड़ी हुई है ग्राम के परमा राम कुम्हार का कहना है कि हम गर्मी के सीजन में 25 हजार से लेकर 40 हजार तक की बिक्री कर लेते थे जोकि आज मिट्टी के सारे बर्तन घरों में ही पढ़े हुए हैं छीमक में करीब 15 परिवार कुमारों के हैं जिनको आजतक प्रशासन का कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया है और छीमक के कुमार शिरफ मिट्टी के बर्तन बना कर ही अपना पेट पालते हैं अगर लॉक डाउन नहीं खुला तो भूखों मरने की नौबत आ सकती है
छीमक से संवाददाता बीरेन्द्र पाराशर की खास रिपोर्ट


