भोपाल

मध्य प्रदेश में नाबालिग बालिकाओं की गुमशुदगी की स्थिति चिंताजन

भोपाल मध्य प्रदेश में नाबालिग बालिकाओं की गुमशुदगी की स्थिति चिंताजनक रही है। इस वर्ष के शुरुआती छह महीनों में नाबालिग लड़कियों की गुमशुदगी के 4792 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इनकी बरामदगी में पुलिस की असफलता सामने आई है। 63 फीसद नाबालिग लड़कियों को ही तलाश कर उनके घरों तक पहुंचाया जा सका है। पुलिस की ओर से सफाई दी गई है कि अप्रैल और मई में लॉकडाउन के कारण बरामदगी के काम में बाधा आई। पिछले वर्षों में दर्ज प्रकरणों कोमध्य प्रदेश में नाबालिग बालिकाओं की गुमशुदगी की स्थिति चिंताजनक मिलाकर इस वर्ष 5976 नाबालिग लड़कियों को बरामद किया गया है। वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में सात हजार से अधिक बालिकाओं की गुमशुदगी दर्ज की गई थी।

जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 में 7101 तो वर्ष 2020 में 7140 नाबालिग लड़कियां लापता हुई थीं। इस वर्ष (छह महीने) में यह आंकड़ा 4792 रहा है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, इस वर्ष अभी तक 5976 बालिकाओं को उनके घरों तक पहुंचाया गया है, लेकिन इनमें बड़ी संख्या उन लड़कियों की है, जो बीते वर्षों में लापता हुई थीं। अधिकारियों की दलील है कि इस वर्ष अप्रैल और मई माह में कोरोना की दूसरी लहर के कारण लॉकडाउन जैसी स्थिति रही। पुलिस का अन्य जिलों में आवाजाही कम रहने के कारण बालिकाओं को तलाशने का काम धीमा रहा।

सूत्रों का कहना है कि लापता होने वाली नाबालिग लड़कियों को बड़ी संख्या में प्रदेश से बाहर ले जाया जा रहा है। पिछले कुछ माह में गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, तेलंगाना, बंगाल जैसे राज्यों से इन्हें बरामद किया गया था। सरकार भी इस मामले को गंभीर मानती है और इसके लिए ऑपरेशन मुस्कान अभियान चलाया गया था। सरकार के स्तर पर भी पुलिस को इस समस्या को गंभीरता से सुलझाने के निर्देश दिए गए हैं।

अधिकारियों का कहना है कि लापता बालिकाओं की बरामदगी में आंकड़े कम दिखने के मामले में सबसे बड़ी समस्या यह है कि बच्चियां लौट आती हैं तो स्वजन पुलिस को जानकारी नहीं देते हैं।

hindustan

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